30 नव॰ 2011
देश कों अपनी प्रतिभा की कदर नहीं
7 नव॰ 2011
मुझे भारतीय होने पर गर्व है
महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विवि. वर्धा में विदेशी शिक्षको के लिए हिंदी प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन 31 अक्टूबर कों किया गया. जिसका उद्घाटन विवि के कुलपति विभूति नारायण ने किया . दस दिनों तक चलने वाली इस कार्यशाला में देश के हिंदी विशेषज्ञ, विदेशी शिक्षको कों हिंदी की बारीकियो के बारे में और हिंदी पढ़ाने के लिए किस तरह की दिक्कते सामने आती है. इन सब बातो पर चर्चा जारी है. न्यूजीलेंड से आई भारतीय मूल की सुनीता नारायण जो न्यूजीलेंड के वेलिंग्टन हिंदी स्कूल में पढ़ाती है. सुनीता इस कार्यशाला के ज़रिए हिंदी की बारीकियो कों सीख रही है. विवि में एम. फिल. जनसंचार के शोधार्थी ललित कुमार कुचालिया की " सुनीता नारायण" से एक खास बातचीत -
3 नव॰ 2011
इंदिरा गाजिएवा से बातचीत / सोवियत संघ के विघटन के बाद भारतीय भाषाओं की स्थिति अच्छी हुई
2 नव॰ 2011
अंतरराष्ट्रीय हिंदी विवि वर्धा में विदेशी शिक्षको की कार्यशाला का आयोजन
म। गा.अं. हि. विवि वर्धा में 31 से 09 नव. तक चलने वाली विदेशी शिक्षको के लिए अभिविन्यास कार्यशाला का उद्घाटन कुलपति विभूति नारायण राय ने किया. दस दिनों तक चलने वाली इस कार्यशाला में श्रीलंका, मोरिशस, ज़र्मनी, क्रोशिया, बेल्जियम, चीन, न्यूजीलेंड ,रशिया, हंगरी, के शिक्षक हिस्सा ले रहे है . विवि. में विदेशी शिक्षको के लिए यह कार्यक्रम दोबारा हो रहा है, इसी साल ३ से 15 जनवरी कों यहाँ पहला आयोजन कराया गया था .
इस कार्यशाला के अंतर्गत विदेशी शिक्षको के लिए यह आयोजन इसलिए ज़रूरी है कि जिस उद्देश्य के साथ विदेशी छात्र बड़े पैमाने पर हिंदी सीखने के लिए भारत आते है। और जब यहाँ से हिंदी सीखकर स्वदेश जाते है, तो क्या वे उन उद्देश्यों का पालन करते है या फिर दुनिया भर के विवि और संस्थानों में हिंदी पढ़ाने के लिए जिस तरह की समस्याए आती है उसमे महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विवि. भी अपनी अहम भूमिका निभाना चाहता है. कुलपति राय बताया कि दुनिया भर के 150 विवि में हिंदी सबसे ज्यादा पढाई जाती है और विश्व की सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषाओ में से एक है.
विवि. के प्रतिकुलपति एवं विदेशी शिक्षण प्रकोष्ठ के प्रभारी प्रो. ए. अरविन्दाक्षन का कहना है की विदेशो के विभिन्न विवि. में हिंदी पढ़ाने वाले शिक्षको के लिए यह दूसरा आयोजन है इससे पहले प्रथम आयोजन में मोरिशस, ज़र्मनी, चीन ज़र्मनी, बैंकाक आदि विदेशी शिक्षको से हमे अच्छा परिणाम मिला. इसीलिए उन्होंने इस प्रकार के आयोजन की तारीफ भी की थी. दस दिन तक चलने वाली इस कार्यशाला में हिंदी के एतिहासिक परिप्रेक्ष्य, वर्तनी, वाक्य रचना, सिद्धांत, हिंदी भाषा प्रोद्धोगिकी और शिक्षण सामग्री निर्माण आदि विषयों पर चर्चा होगी. समय - २ पर देश भर से हिंदी के विशेषज्ञो कों यहा बुलाया जायेगा जो इन्हें हिंदी के बारे में काफी विस्तार से बतायंगे.
11 अक्तू॰ 2011
क्या नल के पानी से बुझेगी याकूब की प्यास............... ?
3 अक्तू॰ 2011
पुरानी दुश्मनी का बदला...........
8 सित॰ 2011
फिल्म निर्देशक कम और थियेटर निर्देशक ज्यादा,
5 सित॰ 2011
रामलीला मैदान में भ्रस्टाचारी रावण का अंत
19 अग॰ 2011
तहरीर चौक न बन जाये कही इंडिया.................
तहरीर चौक का नाम सुनते ही हमारे ही मन में एकदम मिस्र की क्रांति की याद ताज़ा होने लगती है.. मिस्र में जो भी हुआ वह भी काफी हद तक अपने आप में सही था क्योंकि मिस्र की जनता हुस्नी मुबारक की तानाशाही से उब चुकी थी...देश का एक ऐसा वर्ग हुस्नी मुबारक कों कड़ा जवाब देने के लिए एकदम तैयार था.... जब उनकी तानाशाही अपने उच्च शिखर पर पहुची ..तो काहिरा वो तहरीर चौक देशवासियों के लिए कही न कही उम्मीद की नई किरणों के साथ देहलीज की चोखट पर खड़ा था...... देश की जनता कों ज़रूरत थी एक आजद मिस्र की जो हुस्नी मुबारक के हाथो की कठपुतली बन चुका था .......देश जब लोकतंत्र की मांग कर पर अडिग था, तो उधर हुस्नी कों अपनी तानाशाही का गरूर हो रहा था ....इन सब के बीच मिस्र कों अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी समर्थन मिल रहा था ...कुछ इस्लामी देश इसका विरोध भी कर रहे थे ...माना ये भी जा रहा था कि कही मिस्र कों अमेरिका तो समर्थन नहीं कर रहा, मिस्र की सबसे बड़ी "मुस्लिम बद्र्हूद पार्टी" अमेरिका का विरोध कर रही थी .....
5 जुल॰ 2011
ये लडकिया .................
भीड़ में हों तो लोगों का डर
अकेले में हों तो सुनसान राहों का डर
गर्मी में हों तो पसीने से भीगने का डर
हवा चले तो दुपट्टे के उड़ने का डर
कोई न देखे तो अपने चेहरे से डर
कोई देखे तो देखने वाले की आँखों से डर
बचपन हो तो माता-पिता का डर
किशोर हो तो भाइयों का डर
यौवन आये तो दुनिया वालो का डर
राह में कड़ी धुप हो तो,चेहरे के मुरझाने का डर
बारिश आ जाये तो उसमें भीग जाने का डर
वो डरती हैं और तब तक डरती हैं
जब तक उन्हें कोई जीवन साथी नहीं मिल जाता
और वही वो व्यक्ति होता हैं जिसे वो सबसे ज्यादा डराती है ....
22 मई 2011
मैं उजला ललित उजाला हूँ!
मैं उजला ललित उजाला हूँ!
मैं हूँ तो फिर अंधकार नहीं है!
तेरे मन के तम से लड़ता हूँ
तेरी राहें उजागर करता हूँ
आओ मुझे बाहों में भर लो!
मुझ सा कोई प्यार नहीं है
मैं हूँ तो फिर अंधकार नहीं है!
तेरे रोम-रोम में भर जाता हूँ
तेरे दर्द को मैं सहलाता हूँ
आओ मुझे देह में भर लो!
मुझ सा कोई उपचार नहीं है
मैं हूँ तो फिर अंधकार नहीं है!
यूं तो नहीं मेरा कोई भी रूप
हूँ मैं ही चांदनी, मैं ही धूप
आओ मुझे अंजुली में भर लो!
मुझ में कोई भार नहीं है
मैं हूँ तो फिर अंधकार नहीं है!
क्यों मन में भय को भरते हो
क्यों अंधियारे से डरते हो
आओ मुझे अंखियों में भर लो
मुझ सा कोई दीदार नहीं है
मैं हूँ तो फिर अंधकार नहीं है!
मैं उजला ललित उजाला हूँ!
ललित कुमार दुवारा …
9 मई 2011
माँ....... तेरी ऊँगली पकड़ कर चला ....
ललित कुमार कुचालिया..... (देहरादून )
6 मई 2011
क्लिक ...क्लिक ...क्लिक....
21 फ़र॰ 2011
योजनाओ का सहारा ..................
योजनाओ का सहारा आगामी विधान सभा चुनावी सरगमी उत्तराखंड राज्य अपने पैर पसारती जा रही है . जैसे -२ चुनाव नजदीक आते जा रहे है ....वैसे -२ निशंक के चेहरे की भाव भंगिमाए दिनों दिन बढती जा रही है ...वोट पाने के लिए प्रदेश सरकार योजनाओ का सहारा ले रही है ...डा. निशंक नितीश और मोदी की रहा पर चलना चाह रहे है ..निशंक की तुलना अगर नितीश और मोदी से कर भी दी जाये ..... तो शायद हसी के पात्र भी बन सकते है... निशंक सरकार कों इन दोनों की राह पर चलने की लिए ,बहुत कुछ सीखना पड़ेगा तभी जाकर इनकी बराबरी कर पायेगे ....आगामी विधान सभा चुनावो की रणनीति कों लेकर सभी राजनीति दलों अपनी - २ गोटी फेलानी शुरू कर दी है...जहा एक और उत्तराखंड ने अपनी स्थापना का एक दशक पूरा किया ..वही दूसरी और राज्य अपने विकास के रोने रो रहा है ...उत्तराखंड ने अब तक प्रदेश कों पांच मुख्यमंत्री दिए ... लेकिन किसी ने अब तक इसके विकास के बारे में नहीं सोचा ....
राजधानी देहरादून में राष्टीय पत्रकार संघ उत्तराखंड जिला इकाई का आयोजन किया गया ...जिसके मुख्य अथिति गढ़वाल सांसद सतपाल महाराज रहे ..कार्यक्रम की अध्यक्षता मदन कोशिक (पर्यटन मंत्री) ने की ....इस कार्यक्रम का मकसद मीडिया के लिए नए-२ आयाम देना और पत्रकार बंधुओ के लिए विषम परिथितियो में प्रदेश सरकार सुविधाये मुहिया कराना ... आगामी ,चुनाव के मद्देनज़र मुख्यमंत्री घोषणाओ पर घोषनाए लगातार करते जा रहे है ...हाल ही में प्रदेश सरकार पत्रकारों की लिए आवासीय कालोनी और पत्रकार कल्याण कोष के लिए अब तक पाच करोड़ रूपये की घोषणा कर चुकी है ......प्रदेश सरकार के लिए ये अपने आप में एक अनूठी पहल भी कही जा सकती है
करीब डेढ़ माह पहले देहरादून में A 2 Z टीवी चेंनल. के एक पत्रकार की दुर्घटना में हुई मोत से राज्य के सभी पत्रकारों ने इस पर शोक व्यक्त किया लेकिन मुख्यमंत्री ने पत्रकार की मोत के प्रति कोई शोक सवेदना व्यक्त नहीं की.... मुख्यमंत्री के पास इतना समय ही नहीं है की वे किसी के लिए थोडा समय निकाल सके......... मुख्यमंत्री निशंक चुनावो की रणनीति के खाका बनाने में व्यस्त है....... राष्टीय पत्रकार संघ ने अपने स्तर इस पर कार्यवाई की तो निशंक ने पत्रकार संघ के दबाव के चलते मृतक पत्रकार कों दो लाख का चेक देने की घोषणा की ..
11 फरवरी 2011 कों देहरादून के गाँधी पार्क में मुख्यमंत्री ने अटल खाद्दान योजना का उद्घाटन किया...हजारो की तादाद में लोगो ने इस समारोह में शिरकत ली ...मुख्यमंत्री ने स्वम इस कार्यक्रम की अध्यक्षता भी की ....इस आयोजन के माध्यम के मुख्यमंत्री ने अनेको योजनाये जनता के समक्ष रखी जिसमे आईएएस अकादमी, आईआईटी, आईआईएम्.. देशी विदेशी छात्रो कों स्कोलरशिप देना, उत्तराखंड में गरीब परिवारों के बच्चो कों फ्री शिक्षा देना, कूड़ा बीनने वालो बच्चो कों मुफ्त शिक्षा देना, एमबीबीएस की पढाई मात्र पन्द्रह हज़ार रूपये में और बीपीएल परिवारों के बच्चो कों सीपीएमटी की तैयारी के लिए मुफ्त शिक्षा देना, मेरिट में आने वालो छात्रो कों इंजीनियर बनाना आदि -२ . .... प्रदेश सरकार ने चुनाव से पहले इतनी सारी घोषणाओ के तीर जानता के लिए छोड़ तो दिए ...... लेकिन ये तीर कहा जाकर गिरेगे और कोन-२ लोग इनका लाभ उठायेगे... ये तो आने वाला भविष्य ही तय करेगा .....
छत्तीसगढ़ की राह चलते हुए प्रदेश सरकार ने बीपीएल परिवार के लिए दो रूपये किलो गेहू ,तीन रूपये किलो चावल देने की घोषणा की मुख्यमंत्री ने एपीएल परिवारों के लिए आठ रूपये किलो गेहू ,दो रूपये किलो चावल देने की बात कही ...मुख्यमंत्री निशंक ने उत्तराखंड की जनता कों ये संकल्प दिया की प्रदेश में कोई भी व्यक्ति अब भूखा नहीं सोयेगा ....लेकिन मुख्यमंत्री कों कोई ये कोन बतायेगा की देश कों 80 फीसदी आबादी 9 रूपये से 20 रूपये पर गुजर बसर करती है....तो फिर किन लोगो कों भूखा न सोने की बात करते है ...
पंडित दीनदयाल उपाध्याय की पुण्य तिथि पर अटल खाद्दान योजना का शुभारम्भ बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी ने किया...गडकरी ने ये भी बताया की जहा देश की 80 फीसीदी आबादी बीस रूपये पर गुजर बसर करती है, वही उत्तराखंड राज्य सरकार गरीबो की प्रति वचनबद्ध है ...राज्य लगातार प्रगति के शिखर पर पहुच रहा है ...राज्य की विकास दर जहा 9.41.% हुआ करती थी आज वही 41% पर जा पहुची ...तेजी से प्रगति करने वालो राज्य में उत्तराखंड कों प्रथम पुरस्कार उपराष्टपति के हाथो दिया गया ...गडकरी ने गरीबो के प्रति कल्याणकारी योजनाओ कों सफल बनाने की बात कही ...
चुनावी माहोल के इस दोर उत्तराखंड में एक बार राज्य सरकार योजनाओ का सहारा लेकर वोट पाने की राजनीति एक बार फिर से सर चढ़ कर बोलने लगी है ...चाहे सत्ता पक्ष या फिर विपक्षी दल या फिर अन्य दल हो चुनाव के नजदीक आते ही सभी कों गरीबो के प्रति चिंता सताने लगती है ...केंद्र सरकार जहा एक और मनेरगा के माध्यम से गरीबो कों अपनी और आकर्षित करती है ...वही राज्य सरकार गरीबो कों सस्ते दामो पर खाद्दय भोजन देकर जनता कों खुश करना चाहती है ...बात बराबर है सभी राजनितिक दल एक ही थाली के चट्टे बट्टे है .... कोई किसी से कम नहीं है...वैसे भी राज्य सरकार का सिंहासन इस बार खतरे में है.....
करीब चार साल से गहरी नींद में सोयी राज्य सरकार कों अब इन योजनाओ कों याद आ रही है .... वो भी तब जब चुनाव नजदीक है अब इसी से अंदाज़ा लगाया जा सकता है की राज्य सरकार कों गरीबो की चिंता कम वोट पाने की चिंता सबसे ज्यादा है ...गरीबो की रोटी पर सवाल अब से पहले भी उठे है, और अभी भी उठते रहे है .....सरकार चाहे किसी की भी क्यों न हो बदलाव की उम्मीद किसी से नहीं की जा सकती .....
वर्जन ---"-जिस दोर में पत्रकारिता आज अपने उत्कर्ष शिखर पर पहुची है ऐसे दोर में भ्रष्ठचार और घोटाले का बाज़ार भी गर्म रहा है.....राज्य सरकार ने शासकीय पत्रकारों कों आवसीय कालोनी देनी की घोषणा वैचारिक रूप से की है...पत्रकारों कों आगे आकर संगठन के रूप में काम करना होगा" ......
मीडिया सलहाकार समिति अध्यक्ष( उत्तराखंड) -----------देवेन्द्र भसीन