18 नव॰ 2009

मुलायम बने मुलायम ....................




उत्तरप्रदेश कि ११ विधान सभा सीटो के लिए हुए उपचुनाव में सपा को मिली करारी हार के बाद मुलायम और भी मुलायम हो गए गए है। सबसे बड़ा झटका उनको तब लगा, जब फिरोजाबाद लोकसभा सीट से उनके लड़के की पत्नी डिम्पल यादव हार गयी । उन्ही के विपक्षी कांग्रेस उम्मीदवार राजबब्बर ने अब इस सीट पर अपना कब्ज़ा कर लिया। इसी के साथ जहा कांग्रेस का कद बढ़ा गया वही मुलायम और मुलायम हो गये। दूसरा झटक तब लगा जब विधानसभा की ११ सीट में से एक सीट भी नही निकाल सके । तमाम प्रकार की आलोचनाओ के बावजूद भी बसपा ने ११ सीट में से ०९ सीट पर अपना कब्ज़ा कर लिया । पहले बसपा के पास ११ सीट में से मात्र ० ४ सीट उसके पास थी । मुलायम अपने गढ़ को भी नही बचा पाए और इस सीट पर अब बसपा ने अपना कब्ज़ा कर लिया । फिरोजाबाद सीट जीतने के बाद कांग्रेस का कद भले ही बढ़ गया हो पर विधान सभा सीट में उसको एक भी सीट नही मिली । इस सीट को जीतने के बाद अब कांग्रेस की लोकसभा में सीटो की संख्या २२ हो गयी है।


इन चुनाव ने मात्र अब ये साबित कर दिया।कि उत्तर प्रदेश में सिर्फ़ बसपा, कांग्रेस का जनाधार होगा । लेकिन अब जनता सपा , भाजपा के loklubhawne jhanse में नही फँसना चाहती ...........


ललित कुचालिया ......... ।

5 नव॰ 2009

आख़िर कब तक रुकेंगा ये युद्घ ................


भाजपा का पतन धीरे- धीरे होता जा रहा है। एक के बाद एक इस सुलह ने भाजपा की नींव को हिलाकर रख दिया । लोक सभा चुनाव में मिले करारी हार के बाद भाजपा को काफी नुकसान उठाना पड़ा । हाल ही में देश के तीन राज्ये में हुए चनाव में भाजपा का कमल गुल नही खिला सका जिसके चलते भाजपा में अंदरूनी जंग छिडी हुई है। कुछ दिनों पहिले आर० आर०एस ० प्रमुख मोहन भागवत ने भजपा को सर्जरी कराने के लिया कहा था । इस प्रतिकिया पर भाजपा अध्यक्ष सिंह ने कहा था । अब किसका दिमाग खराब हो गया है। उससे के अगले दिन मोहन भागवत इसको मीडिया की चाल बताते है.........
और अब इस कलह के आग की चिंगारी देश के राज्यों तक पहुचं चुकी है । पहले तो बवाल मचा मध्ये प्रदेश में जहाँ हाल ही में मंतेरी मंडल का विस्तार हुआ। जिसके कारण कुछ एम्० एल० ऐ ० ने मंतेरी न बनने पर काफी नाराज़ दिखाए दिया ।

लेकिन अब इस आग की चिंगारी कर्नाटक तक पहुंच गई । जहाँ पार्टी के कुछ मंतेरी चीफ मिनिस्टर के खिलाफ नारे बाजी करते , दिखाए देते हुए नज़र आ रहे है। साउथ में पहली बार येदुरप्पा के नेतृंत्व में भाजपा की सरकार बने अभी एक ही साल हुआ था। कि पार्टी में अचानक संकट के बदल मंडराने लगे । लगता है पार्टी में कही न कही खामिया तो जरूर है । जिसके कारण यह आग अब राज्यों तक पहुँच चुकी है ।

सबसे बडी वजह बने है रेड्डी बंधू(करुणाकरण , जनार्दन ) और विधानसभा अध्यक्ष जगदीश शेट्टर जो येदुरप्पा को हटाना चाहते है। भाजपा महासचिव अरुण जेटली जब बंगलोर गये थे। जो बिना कुछ कहे दिल्ली वापस लोट आए। लेकिन उनकी khamoshi ये बताती है वो भी येदुरप्पा को हटाना नही चाहते।

भाजपा में सबसे बडा संकट अब इस बात का है की यह पार्टी अब नेशनल लेवल पर पुरी तरह से टूट चुकी है। उसके बडे नेता भी अब अलग- अलग समूह में बिखर चुके है। येदुरप्पा अरुण जेटली के करीबी माने जाते है। to dusree तरफ़ रेड्डी बंधू सुषमा स्वराज के करीबी माने जाते है यहाँ साफ़तोर पर देखा जाता है पार्टी के आज बडे नेता भी अलग -अलग खेमे में बटे हुए है। हाल ही में विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद भाजपा पुरी तरह से सदमे में थी । और सदमे में उभरने से पहले ही कर्नाटक में संकट के बादल छाने लगे । कर्नाटक में लिंगायत के सबसे jayeda समर्थन मिलने की कारण येदुरप्पा को कर्नाटक की कमान गयी थी । अब यदि येदुरप्पा को पार्टी से हटाया जाता है, तो भाजपा की बची- खुची छवि भी पुरी तरह से धूमिल हो जाएँगी ।

"कुल मिला कर ये बात सामने आती है की पार्टी में उठी चिंगारी की लपट राज्यों तक पहुँच गयी है। पार्टी में उठी चिंगारी को अब kon शांत करेगा यह कह पाना मुश्किल है।"

ललित कुचालिया.......

2 नव॰ 2009

अपना मध्य प्रदेश ...........................


वो प्रदेश भी क्या प्रदेश है जहा की कला संस्कृति ख़ुद मुँह से बोलती है। ०१ नोवंबर १९५६ को जन्मा मध्य प्रदेश जैसे पहला था । आज वैसा नही है। १९४८ को मध्य प्रदेश का गठन हुआ । तब लीला धर जोशी ने जिम्मेदारी संभाली थी मध्य पदेश के समय तख्तमलजैन चीफ मिनिस्टर थे । ०१ नवम्बर१९५६ को मध्य प्रदेश का गठन हुआ । और पंडित रवि शंकर को चीफ मिनिस्टर के रूप में पेश किया गया । जो मध्य प्रदेश के पहलेचीफ मिनिस्टर बने । महाकोशल , विन्धेया चल , भोपाल राज्ये और मध्य भारत को मिलकर यह प्रदेश बनाया गया । जिसमे राजस्थान के कुछ इलाको मिलाया गया । देश का उप प्रदेश होने के बावजूद यहाँ की कला संस्कृति का अपना विशेष महत्व है। इसकी कला संस्कृति मध्य प्रदेश की मिटटी के कण -कण में रची बसी है। जिसका कोय तोड़ नही यहाँ के कुछ स्थान जैसे खुजराहों, साँची बालाघाट, पातालकोट ओंकारेश्वर ,आदि की खूबसूरती चारो और फैली है । जिसका नाम देश विदेश में लोकप्रिय है।

मध्य प्रदेश के लोग बहुत ही सीधे - साधे है। ऐसा लगता है मानों कला संस्कृति का इन पर खूब प्रभाव हो मध्य प्रदेश की भोगोलिक स्थिति को धियं में रखते हुए यंहा पर काफी विकास हुआ है।

आदिवासी इलाको में भी काफी विकास हुआ , इस विकास के साथ - साथ यंहा की हरियाली के साथ समझोता न करे , और महिला सशक्तिकरण को नज़र अंदाज़ न करे , दूर दराज की गरीब महिलाओ के लिए।

ese योजना लायी जाए , जिससे उनका उधार हो जाए क्योंकि नारी को देश के खजाने की चाभी कहा जाता है।अगर इस के साथ कोई खुराफात करेगा। तो सारा खजाना लूट जाएगा। ऐसी योजना के साथ हम अपने सपनो को साकार कर सकते है, हम चाहते है मध्य प्रदेश अपने पेरो पर खड़ा हो जाए जो bhirasthachar से मुक्त और विकास के मार्ग पर बढ़ा चला जाए ....................................

ललित..............

1 नव॰ 2009

शर्म मगर उनको आती नही ........................


यह कहानी है मणिपुर की जहाँ पर महिलाओ पर अत्यचार किया जा रहा है यह बहुत ही शर्म की बात है ....................मणिपुर में महिलाओ दुआर सशस्त्र राज्य की ताकत के खिलाफ आर्मी के ऑफिस के सामने नग्न प्रदर्शन लोकतान्तेरिक राज्य के प्रंचारित गोरव को शर्म सारनही करता ?........ शायद नही ! क्योंकि दूसरे राज्य में भी ऐसे दमनकारी कानून बनाये जाने की कोशिश जारी है।

१० साल से भूख हड़ताल पर इरोम शर्मीला अपने हक़ के लिए लड़ रही । लेकिन उसे अभी इंसाफ नही मिला । आखिर कब तक सरकार इसे जेल में डाले रखेगी ।....................

हिंदू धर्मस्थली से बनी जैन धर्मैस्थली....................


कहा जाता है कि सभी धर्मो का अपना विशेष महत्व होता है । पर इस तरह कि कहानी बन रहीहै ............... उत्तरप्रदेश के मेरठ जिले में स्थित हस्तिनापुर जिसे प्राचीन काल में हिंदू धरम कि धर्मस्थलि कहा जाता था । यानि पांडवो कि राजधानी हस्तिनापुर...................... माना ये जाता है कि कुंती से जन्मे paacnho pandewo का जन्मे हस्तिनापुर में हुआ था। लेकिन यही हस्तिनापुर जैन धर्मे कि तीर्थ issthali बन चुकी है । वेसे तो भरत कि इस प्रचिउन राजधानी का पोंराणिक कथाओ में नाम बहुत ही लोकप्रिय है । लेकिन आज धर्म का इस वर्चस्व बना हुआ है । वैसे तो हस्तिनापुर कसबे में जैन धर्म कि आबादी नही ज़यादा है। फिर भी इस धर्म के लिए आज यह isthan बहुत ही prasidh हो गया है । पोंराणिक कथाओ में जैन धर्म का इस isthan से कोई लेना देना नही है । स्थल आज जैन धर्म का paryettak स्थल भी बन चुका है।
पांडवो कीराजधानी कही जाने वाली आज इस नगरी में प्राचीन मंदिरो का नामो निशान खत्म होता जा रहा है। हस्तिनापुर को कभी भारत की राजधानी कह जाता था । जिन पांडवो ने कुंती से जन्म लिया था । उन्होंने अपने बल budhi से कोरवो को हराया था। हस्तिनापुर की कहानी हिंदू धर्म को aapas में jodti है । इस धर्म का इस स्थान से koye nata नही है । आज का हस्तिनापुर वो हस्तिनापुर नही रहा है । जो वो barso से था।
आज इस स्थान पर जैन dhram के बहुत से मन्दिर बन गए है
लेकिन हिंदू धर्म के giney chuney मन्दिर है।
kenderya सरकार से guzarish है की इस स्थान को इंटरनेशनल tourism बनाने के लिए ghoshit कर दे taki hastinpur का naam फिर इतिहास के panno में amar हो जाए। .