22 मार्च 2010

माया बनाम दलित ....................


गरीबो का मसीहा कही जाने वाली मायावती आज करोडो की माला पहन कर,l उत्तेर प्रदेश में अपने तानाशाही पर उतर आई है..... उ० प्र० में सत्ता हासिल करने के बाद लोगो ने इसको एक देवी का रूप कहा था .........लेकिन जनता को क्या पता था। की यह देवी सबसे पहले अपना कल्याण करेगी । बाद में जनता जनार्दन का .....

सत्ता हासिल कराने से पहले दलितों को बड़े - बड़े सपने दिखने वाली माया ने जो वादे दलितों और पिछडो वर्गों से किये थे, वो एक दम खोखले साबित हुए ........जब - जब उ० प्र० में बसपा की सरकार आई है । तब -तब इन लोगो पर घोर अत्याचार हुए .......आखिर इसका क्या कारण रहा .............. क्या माननीय कांशीराम जी के देहांत के बाद मायावती के पंख एकदम खुल गए ..... जो कभी उनके सानिध्ये में रह कर काम करती थी । लेकिन आज अपनी तानाशाही पर उतर आई ................. आखिर कब तक ये तानाशाही रहेगी । एक न एक दिन तो जाना पड़ेगा । दलितों को कब तक बह्कायेंगी

18 मार्च 2010

सपना ही रह गया ..................




२८ फरवरी को हाकी के महाकुम्भ का आगाज़ जैसे ही शुरू हुआ था । ......... लोगो की निगाहे भारतीय हाकी टीम पर टिकी हुई थी .... अपने शुरूआती मैच में चिर प्रतिदुंदी पाकिस्तान टीम को ४-१ से हरा कर ये साबित कर दिया था । इस बार भारतीय हाकी टीम कुछ अच्छा करेंगी ; लेकिन जैसे ही हमारी टीम ऑस्ट्रेलिया , स्पेन, इंग्लैंड से भिड़ी तो असलियत सबके सामने आ गयी । लोगो को विश्वास नहीं हो रहा था .......... क्या ये वही टीम है । जिसने पाकिस्तान टीम को पहला मैच में हराया था विश्वकप से पहले भारतीय टीम के बारे में बड़ी -बड़ी बाते की जा रही थी । यहीं नहीं उनको दिया जाने वाले मेहनताने पर भी काफी बखेड़ा हुआ था । लेकिन इस हार को कोई टाल नहीं सका । दरह्सल हम हाकी को लेकर कभी चिंतित नहीं रहे है। हमने हाकी को राष्ट्रीय खेल तो बना दिया । जहा धोनी के चोको -छक्को की कीमत आकी जाती है..... वही प्रभुजोत के एक गोल की कीमत लग जाये तो गनीमत है । भारतीय हाकी की जो दुर्दशा हुए है .... इस बात को खेल संघ भी नहीं समझ पा रहा है।




चयन के लिहाज से देखा जाये तो टीम तो अच्छी थी । बाद के मैच में हमको शिवेंद्र सिंह की कमी ज़रूर खली । जिसका खामियाजा हमको भुगतना पड़ा । इसी के कारण हार का मुह देखना पड़ा ....
राजीव गाँधी खेल से सम्मानित पूर्व खिलाडी" धनराज पिल्लै"का कहना की देश की हाकी को प्रोफेशनल की ज़रुरत है। जिस दिन टीम में ये आ गया, तो समझो टीम का लेविल अपने आप ऊपर उठ जायेगा । हमारे देश और यूरोपीय देश की हाकी में ज़मीं आसमान का अंतर है। हमे इस बात पर ध्यान देना होगा की विदेशो की तरह हमारे खिलाडियों को भरपूर सुविधाए उपलब्ध करायी जाये । तभी हमारे खिलाडी अच्छा प्रदर्शन करेंगे ।खेल मंत्री ने भी इस बात को स्वीकार कर लिया है।
खेल के मामले अगर हम बात करे चीन की तो वो इसमें भी हमसे काम में आगे है। जितनी सुविधा वो अपने खिलाडियों को देते है। उतनी सुविधा और कोई देश नहीं दे सकता। अब दुःख हमें इस बात का है। सात बार वर्ल्ड कप जीत चुकी भारतीय टीम भविष्य में सुनहरे मोके की तलाश में जुटी है।


10 मार्च 2010

दिल्ली अभी दूर है ...........................




कहा जाता है, की "जहा नारी की पूजा की जाते है, वहा पर देवता निवास करते है।" विश्वे के सबसे बड़े लोकतंत्र महिला विधेयक पारित हो तो गया, लेकिन काफी ज़दोजहद के बावजूद इस बिल महिला दिवस पर पारित होना था । लेकिन राज्ये सभा में इसको कुछ विरोधी दलों पारित होने नहीं दिया। जब उप राष्ठपति इसको सदन में पेश कर रहे थे । तभी विरोधी दलों के सांसदों ने उप राष्ट्पति के हाथो में से पर्ची लेकर फाड़ दी गयी थे जिसको लेकर काफी हंगामा हुआ , राज्ये सभा में अराज़कता के चलते इनको मार्शल कमांडो के दुवारा बहार करवा दिया गया ............


महिलाओ को ३३% आरक्षण देने में कोए गुरेज नहीं होना चाहिए । आज जितने भी बड़े पदों पर महिलाये बैठी है। उससे तो येही लगता है,की इनको भी पूरा अधिकार है..................... एक बात मानने वाली ये है, की एक सफल पुरुष के पीछे एक सफल औरत का हाथ होता है,..............हमारे देश की अनेको महिलाये आज विदेशो में खूब नाम कमा रही है, भारतीए मूल की कल्पना चावला , सुनीता विलियम्स, इंदिरा नुई जैसी महिलऔ ने आपने देश का नाम खूब रोशन किया हुई..................... भारत में उच्च पदों पर रह्कर देश का नाम रोशन कर रही है जैसे सुनीता नारायण , चंदा कोचर , मीरा कुमार, आगथा संगमा .............
१४ वर्षो से लुका छुपी का खेल, खेल रहा महिला विधेयक आखिर कार मंगलवार को राज्ये सभा में पारित हो ही गया । इस विधेयक ने अभी एक छलांग तो पार कर ली है, अभी इसको दो छलांग लगनी बाकि है, पहली लोकसभा में और दुसरी राज्यों के विधान सभाओ में ,केंद्र सरकार ने अपनी कठोरता का परिचय देकर इसको पारित तो ज़रूर करवा दिया ...................अगर लोकसभा में इसको दो तिहाये बहुमत विपक्षी दल इसका खुल कर समर्थन कर देते है । तो देश में लोगो का नारीओ के प्रति नजरिया बदल सकता है। जो अब तक नहीं था ..............ज़रुरत इस बात की है। यदि इसी कठोरता के साथ केद्र सरकार इसको लोकसभा में पारित करवा देतीहै ......जैसी ताकत उसने राज्ये सभा में दिखाई है । अगर इस कठोरता में जरा से भी ढील रही तो महिलाओ के लिए दिल्ली अभी दूर है....................