19 अग॰ 2011

तहरीर चौक न बन जाये कही इंडिया.................




तहरीर चौक का नाम सुनते ही हमारे ही मन में एकदम मिस्र की क्रांति की याद ताज़ा होने लगती है.. मिस्र में जो भी हुआ वह भी काफी हद तक अपने आप में सही था क्योंकि मिस्र की जनता हुस्नी मुबारक की तानाशाही से उब चुकी थी...देश का एक ऐसा वर्ग हुस्नी मुबारक कों कड़ा जवाब देने के लिए एकदम तैयार था.... जब उनकी तानाशाही अपने उच्च शिखर पर पहुची ..तो काहिरा वो तहरीर चौक देशवासियों के लिए कही न कही उम्मीद की नई किरणों के साथ देहलीज की चोखट पर खड़ा था...... देश की जनता कों ज़रूरत थी एक आजद मिस्र की जो हुस्नी मुबारक के हाथो की कठपुतली बन चुका था .......देश जब लोकतंत्र की मांग कर पर अडिग था, तो उधर हुस्नी कों अपनी तानाशाही का गरूर हो रहा था ....इन सब के बीच मिस्र कों अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी समर्थन मिल रहा था ...कुछ इस्लामी देश इसका विरोध भी कर रहे थे ...माना ये भी जा रहा था कि कही मिस्र कों अमेरिका तो समर्थन नहीं कर रहा, मिस्र की सबसे बड़ी "मुस्लिम बद्र्हूद पार्टी" अमेरिका का विरोध कर रही थी .....


मिस्र की जनता जब सडको पर अपनी मांगो कों लेकर आई, तो हुस्नी कों लगने लगा था कि जनता कों संभाल पाना मुश्किल है ...क्योकि जनता तानाशाही कों खत्म करके देश में लोकतंत्र चाहती थी .....जहा सभी लोगो कों अपना हक़ मिल सके और अपनी बातो कों सही से सबके सामने रख सके..... ताकि उनकी बातो कों दबाया या फिर कुचला न जा सके.......कही न कही एक सही लोकतंत्र की यही पहचान होती है ..... वहा की जनता सही मायने में यही चाहती थी... मिस्र की जनता जब तानाशाही सरकार के खिलाफ सडको पर उतरी... तो हिंसात्मक आन्दोलन के चलते बहुत से लोगो कों शहीद होना पड़ा ......अंत में मिस्र में लोकतान्त्रिक राज आया और तानाशाही सरकार कों झुकना पड़ा .......... सही मायने में देश कों बदलाव चाहिए था जिसको उस लम्बे समय से इंतज़ार था मिस्र की इसी क्रांति के साथ काहिरा का वो तहरीर चौक देश के इतिहास के पन्नो में दर्ज हो गया .........
आज भारत मै इस समय जो हालात बने हुए है वो मिस्र कि परिस्थिति से एकदम उल्टा है....भारत जैसे लोकतान्त्रिक देश में सिर्फ उन नेताओ कि तानाशाही है .....या फिर यू कहे उन भ्रष्ट मंत्रियो, अधिकारियो की जो सरकार के नाम पर गलत ढंग से उगाही करते है .......सरकार जो भी काम करना चाहती है उनके मंत्री या फिर उनके दलाल उस काम कों सही से होने ही नहीं देते...... उन्हें सिर्फ अपनी जेब भरने से काम है .... मतलब साफ है कि " अपना काम बनता, भाड़ में जाये जनता " ... आज देश की कमर भ्रष्टाचार ने पूरी तरह से तोड़ दी है देश का कोई भी ऐसा कोना नहीं बचा है जहा भ्रष्टाचार न फेला हो........... जनता इन भ्रष्ट नेताओ से पूरी तरह से त्रस्त आ चुकी है ... इनके सभी वायदे खोखले साबित दिखाई पड़ते है ..जनता का विश्वास इनसे उठ चुका है ... ये समझकर इनको सांसद में भेजते है, ताकि हम लोगो का प्रतिनिधित्व करेगे लेकिन होता है एकदम उल्टा ......जब यही मंत्री जनता कि उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाते तो जनता कों मज़बूरी में सडको पर उतरना पड़ता है ..... अगर जनता इनके खिलाफ विरोध प्रदर्शन या फिर जन आन्दोलन करे है तो उसमे क्या गलत करती है ?........

आज देश कों ज़रूरत है भ्रष्टाचारी सरकार कों जड़ से उखाड़ फेकने की देश में आज भ्रष्टाचार विधेयक यानी जन लोकपाल विधेयक कों लेकर सरकार और आमजन के बीच तलवारे खीची हुई है .... देश के कुछ चुनिन्दा लोग आगे आकर इसकी पेरवी कर रहे है जैसे अन्ना हजारे की टीम .......अन्ना की यही टीम सरकार कों एक बार पहले भी झुका चुकी है ......लेकिन इस बार के आन्दोलन से लगता है....कि अन्ना की अगस्त क्रांति एक फिर से देशवासियों कों मिस्र कि क्रांति कि याद दिला दे रही है ... दिल्ली की तिहाड़ जेल से लेकर इंडिया गेट या फिर जहा तक भी नज़र जाये वही तक अन्ना के ही समर्थको का ही सेलाब दिखाई दे रहा है और नारा लगा रहे है ...मै भी अन्ना तू भी अन्ना, अन्ना तुम संघर्ष करो, हम तुम्हारे साथ है, अन्ना से जो टकराएगा, वो चूर-चूर हो जायेगा .... इस तरह के नारे दिल्ली की सडको पर चारो और सुनाई दे रहे है ....जिससे ये साफ दिखता है कि भ्रष्टाचार कों देश से खत्म करना है ........... इस भ्रष्टाचार के मायने और भी हो सकते है... जिस भ्रष्टाचार कों हम अन्ना के जनलोकपाल बिल के माध्यम से ख़त्म कराने के लिए इतना सब कुछ कर रहे है.... क्या ये जनलोकपाल बिल के मध्यम से खत्म हो जायेगा .. ये सबसे बड़ा सवाल लोगो के बीच बना हुआ है .....अन्ना हजारे जनलोकपाल के माध्यम से प्रधानमंत्री और सुप्रीम कोर्ट के जजों कों इसके दायरे में लाना चाहते है ....जो सरकारी लोकपाल बिल से एकदम अलग है..... सरकार के लिए ये विधेयक पास न करना गले कि हड्डी बना हुआ है ..........

केंद्र सरकार कि यही तानाशाही अन्ना कि टीम कों रास नहीं आ रही है...... जिसके समर्थन में आज सेकड़ो की तादात में ये लोग अन्ना कों समर्थन करने के लिए उतर पड़े है ......अन्ना ने सरकार कों पहले ही चेता दिया था कि वो 16 अगस्त से अनशन करने वाले है ... जिसको लेकर सरकार की चिंताए लगातार बढती चली जा रही थी ....... जब अन्ना अपना अनशन करने के लिए जैसे ही जेपी पार्क के लिए निकले तो उनको दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार भी किया ........ पुलिस कारण तो नहीं बता पाई की उनको क्यों गिरफ्तार किया ....सीधे उन्हें तिहाड़ जेल में बंद कर दिया......तभी अन्ना के समर्थको का हुजूम सडको पर उतरकर भ्रष्टाचार में लिप्त सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के खिलाफ नारे लगाने लगा .......... जिससे केंद्र सरकार का सिंघासन डोलने लगा ........अन्ना की यह अगस्त क्रांति मिस्र की क्रांति से कही न कही मिलती जुलती है ........... दिल्ली की सडको पर सेकड़ो लोग सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करते दिखाई पड़ रहे है ....... अन्ना की इस आंधी के सामने केंद्र सरकार झुकती नज़र आ रही है .... ठीक हुस्नी मुबारक की तरह ........... देशवासियों कों पूरा विश्वास है हमें कामयाबी ज़रूर मिलेगी ......

" स्याल भेडियो से डर सकती
सिंघो कों संतान नहीं
भरतवंश के इस पानी
है, तुमको कों पहचान नहीं "
और याद रखना
" अबकी जंग छिड़ी तो, सुन लो
नाम निशान नहीं होगा,
सरकारे तो होगी, पर भ्रष्टाचार नहीं होगा "

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