5 नव॰ 2009

आख़िर कब तक रुकेंगा ये युद्घ ................


भाजपा का पतन धीरे- धीरे होता जा रहा है। एक के बाद एक इस सुलह ने भाजपा की नींव को हिलाकर रख दिया । लोक सभा चुनाव में मिले करारी हार के बाद भाजपा को काफी नुकसान उठाना पड़ा । हाल ही में देश के तीन राज्ये में हुए चनाव में भाजपा का कमल गुल नही खिला सका जिसके चलते भाजपा में अंदरूनी जंग छिडी हुई है। कुछ दिनों पहिले आर० आर०एस ० प्रमुख मोहन भागवत ने भजपा को सर्जरी कराने के लिया कहा था । इस प्रतिकिया पर भाजपा अध्यक्ष सिंह ने कहा था । अब किसका दिमाग खराब हो गया है। उससे के अगले दिन मोहन भागवत इसको मीडिया की चाल बताते है.........
और अब इस कलह के आग की चिंगारी देश के राज्यों तक पहुचं चुकी है । पहले तो बवाल मचा मध्ये प्रदेश में जहाँ हाल ही में मंतेरी मंडल का विस्तार हुआ। जिसके कारण कुछ एम्० एल० ऐ ० ने मंतेरी न बनने पर काफी नाराज़ दिखाए दिया ।

लेकिन अब इस आग की चिंगारी कर्नाटक तक पहुंच गई । जहाँ पार्टी के कुछ मंतेरी चीफ मिनिस्टर के खिलाफ नारे बाजी करते , दिखाए देते हुए नज़र आ रहे है। साउथ में पहली बार येदुरप्पा के नेतृंत्व में भाजपा की सरकार बने अभी एक ही साल हुआ था। कि पार्टी में अचानक संकट के बदल मंडराने लगे । लगता है पार्टी में कही न कही खामिया तो जरूर है । जिसके कारण यह आग अब राज्यों तक पहुँच चुकी है ।

सबसे बडी वजह बने है रेड्डी बंधू(करुणाकरण , जनार्दन ) और विधानसभा अध्यक्ष जगदीश शेट्टर जो येदुरप्पा को हटाना चाहते है। भाजपा महासचिव अरुण जेटली जब बंगलोर गये थे। जो बिना कुछ कहे दिल्ली वापस लोट आए। लेकिन उनकी khamoshi ये बताती है वो भी येदुरप्पा को हटाना नही चाहते।

भाजपा में सबसे बडा संकट अब इस बात का है की यह पार्टी अब नेशनल लेवल पर पुरी तरह से टूट चुकी है। उसके बडे नेता भी अब अलग- अलग समूह में बिखर चुके है। येदुरप्पा अरुण जेटली के करीबी माने जाते है। to dusree तरफ़ रेड्डी बंधू सुषमा स्वराज के करीबी माने जाते है यहाँ साफ़तोर पर देखा जाता है पार्टी के आज बडे नेता भी अलग -अलग खेमे में बटे हुए है। हाल ही में विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद भाजपा पुरी तरह से सदमे में थी । और सदमे में उभरने से पहले ही कर्नाटक में संकट के बादल छाने लगे । कर्नाटक में लिंगायत के सबसे jayeda समर्थन मिलने की कारण येदुरप्पा को कर्नाटक की कमान गयी थी । अब यदि येदुरप्पा को पार्टी से हटाया जाता है, तो भाजपा की बची- खुची छवि भी पुरी तरह से धूमिल हो जाएँगी ।

"कुल मिला कर ये बात सामने आती है की पार्टी में उठी चिंगारी की लपट राज्यों तक पहुँच गयी है। पार्टी में उठी चिंगारी को अब kon शांत करेगा यह कह पाना मुश्किल है।"

ललित कुचालिया.......

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें