10 मार्च 2010

दिल्ली अभी दूर है ...........................




कहा जाता है, की "जहा नारी की पूजा की जाते है, वहा पर देवता निवास करते है।" विश्वे के सबसे बड़े लोकतंत्र महिला विधेयक पारित हो तो गया, लेकिन काफी ज़दोजहद के बावजूद इस बिल महिला दिवस पर पारित होना था । लेकिन राज्ये सभा में इसको कुछ विरोधी दलों पारित होने नहीं दिया। जब उप राष्ठपति इसको सदन में पेश कर रहे थे । तभी विरोधी दलों के सांसदों ने उप राष्ट्पति के हाथो में से पर्ची लेकर फाड़ दी गयी थे जिसको लेकर काफी हंगामा हुआ , राज्ये सभा में अराज़कता के चलते इनको मार्शल कमांडो के दुवारा बहार करवा दिया गया ............


महिलाओ को ३३% आरक्षण देने में कोए गुरेज नहीं होना चाहिए । आज जितने भी बड़े पदों पर महिलाये बैठी है। उससे तो येही लगता है,की इनको भी पूरा अधिकार है..................... एक बात मानने वाली ये है, की एक सफल पुरुष के पीछे एक सफल औरत का हाथ होता है,..............हमारे देश की अनेको महिलाये आज विदेशो में खूब नाम कमा रही है, भारतीए मूल की कल्पना चावला , सुनीता विलियम्स, इंदिरा नुई जैसी महिलऔ ने आपने देश का नाम खूब रोशन किया हुई..................... भारत में उच्च पदों पर रह्कर देश का नाम रोशन कर रही है जैसे सुनीता नारायण , चंदा कोचर , मीरा कुमार, आगथा संगमा .............
१४ वर्षो से लुका छुपी का खेल, खेल रहा महिला विधेयक आखिर कार मंगलवार को राज्ये सभा में पारित हो ही गया । इस विधेयक ने अभी एक छलांग तो पार कर ली है, अभी इसको दो छलांग लगनी बाकि है, पहली लोकसभा में और दुसरी राज्यों के विधान सभाओ में ,केंद्र सरकार ने अपनी कठोरता का परिचय देकर इसको पारित तो ज़रूर करवा दिया ...................अगर लोकसभा में इसको दो तिहाये बहुमत विपक्षी दल इसका खुल कर समर्थन कर देते है । तो देश में लोगो का नारीओ के प्रति नजरिया बदल सकता है। जो अब तक नहीं था ..............ज़रुरत इस बात की है। यदि इसी कठोरता के साथ केद्र सरकार इसको लोकसभा में पारित करवा देतीहै ......जैसी ताकत उसने राज्ये सभा में दिखाई है । अगर इस कठोरता में जरा से भी ढील रही तो महिलाओ के लिए दिल्ली अभी दूर है....................

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