उत्तर प्रदेश में विधायको कों पार्टी से निकाले जाने का सिलसिला अभी लगातार बना हुआ है. जुमा -२ आठ दिन भी नहीं हुए थे की बसपा सुप्रीमो मुख्यमंत्री मायावती ने केबिनेट के शिक्षा मंत्री रंगनाथ मिश्र और श्रम मंत्री बादशाह सिंह कों मंत्री पद से हटा दिया. जुर्म दोनों मंत्रियो का बस इतना है कि लोकायुक्त की जाच में उन्हें दोषी पाया गया . बसपा पार्टी जिन दलितों और पिछडो वर्गों के आसरे उ. प्र. में राज कर रही है. उन्ही कों फिर से लुभाकर, दागदार मंत्रियो और भ्रष्ट्र नेताओ कों पार्टी से बाहर निकाल कर साफ़ छवि बनाने में जुटी है. और इन सब के बीच मायावती अपनी चुनावी बिसात भी बिछाने में भी लगी हुई है. मायावती के इन कड़े तेवर कों देखते हुए पार्टी का हर नेता खोफ खाया हुआ है. माया केबिनेट मंत्रियो की संख्या घटकर अब चार हो गई है.जिसमे से धर्मार्थ मंत्री राजेश त्रिपाठी, पशुपालन मंत्री अवधपाल यादव की भी छुट्टी कर दी गई .
आठ दिनों पूर्व मेरठ शहर विधायक हाजी याकूब कुरैशी कों बसपा से निष्कासित करने का मामला सामने आया था , हाजी याकूब सिखों पर बेहूदी टिप्पणी करने के मामले में पार्टी से निष्कासित किये गए है , याकूब के लिए अब बड़ा सवाल ये पैदा होता है की वे अपनी नवगठित यूडीएफ पार्टी कों किसके आसरे चलाए, वैसे भी पार्टी कों आगे बढ़ने की लिए जनाधार की आवश्यकता होती है वो याकूब के पास है नहीं, पार्टी चले तो चले किसके आसरे, सवाल बड़ा ही मुश्किल हैं. अब याकूब अपनी राजनीतिक प्यास कों बुझाये तो बुझाये कैसे ? सवाल ये भी बड़ा दिलचस्प है ? याकूब के पास बस एक मात्र विकल्प था, अजित सिंह की आरएलडी पार्टी, जिससे उनकी राजनीतिक प्यास बुझ सकती है, अंत में प्यासे कों नल के पास जाना ही पड़ा, याकूब कों पार्टी से निकलने के बाद कयास तो यही लगाये जा रहे थे कि याकूब अजित से हाथ मिला सकते है.लेकिन मौका परस्ती लोग मौका कभी गवाना नहीं चाहते
आखिर इन सब के बीच याकूब की मंशा अपने बेटे कों सरधना विधानसभा सीट से प्रत्याशी बनाने कीऔर खुद कों मेरठ शहर की किसी भी विधानसभा सीट से प्रत्याशी बनाने की थी, लेकिन अजित सिंह की ख़ामोशी कुछ ज्यादा कह तो नहीं पाई,पर हाँ अजित ने मंच से इतना ज़रूर कहा की याकूब अगले महीने से अब आपके घर - २ घूमते मिलेंगे. तो कही न कही इस बयान से इतना साफ ज़ाहिर हो जाता है कि अजित सिंह भी मुस्लिम - किसान गठबंधन की राजनीति कों भुनाना चाहते है जिसका फायदा उन्हें इस विधानसभा चुनाव में मिले. लेकिन ये तो आने वाला वक्त ही तय करेगा की याकूब अपनी राजनीतिक प्यास कों नल के पानी से बुझाएंगे की नहीं .....
{ लेखक : ललित कुमार कुचालिया (प्रसारण पत्रकारिता)
( माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविधालीय भोपाल, म. प्र. ). और हाल ही में महात्मा गाँधी अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वविधालीय वर्धा, ( महाराष्ट) से एम्. फिल. ( जनसंचार ) का शोधार्थी है " "हरीभूमि" ( दैनिक समाचार) छत्तीसगढ़ में रिपोर्टर भी रहे. देहरादून --- "वोइस ऑफ़ नेशन" न्यूज़ चैनल में भी काम किया ....}
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