2 सित॰ 2010

Do not commercial the school college and university......





इस कामर्शियल के बढ़ते दोर में आज हर कॉलेज और स्कूल अपने कों डोरे कॉलेज की अपेक्षा अपने कों अपग्रेड करने में लगे है ............ अगर बात की जाये उस दोर की जब कॉलेज और विश्विधालीय में पढने वाले बच्चोके पास भविष्य में आगे बढ़ने के लिए मात्र दो ही विकल्प होते थे। एक डोक्टरर दूसरा एक अच्छा अभियंता बनने का ,कयोंकि उस समय स्कूल और कॉलेज कामर्शियल नहीं थे । उनका भविष्य एकदम साफ होता था। न ही वो दोर वैश्वीकरण का था । लेकिन आज कुकरमुत्ते की तरह गली मोहल्ले में खुले ये निजी संस्थान और स्कूल इन लोगो के लिए एक कमाई का धंधा बन गए है । जिसके चलते आ हर स्कूल और कॉलेज के चेयरमेन आज इन्हे फाइव स्टार में तब्दील करने की सोच रहे है ......जंहा की केन्टीन और क्लास रूम कों एकदम चका- चक बनाने में लगे है ....क्लास में डिजिटल बोर्ड हो, कमरे फुल्ली वातानुकूलित हो ,इत्यादी .........कॉलेज प्रशासन भी स्कूल का विज्ञापन करने के लिए मीडिया का सहारा लेते है ये प्रचार करने के लिए फीस कहा से आती है ....ये सब बच्चो से वसूली की जाती है ....कमाई का धंधा बन चुके ये संस्थान १०० फीसदी नोकरी देनी के बात करते है। जिस कारन बच्चो के माता -पिता कों प्रवेश दिला देने में मजबूर कर देते है ... मात पिता सोचते है की हमारा बच्चा ये कोर्स करके तुरंत जॉब पा जायेगा .... लेकिन जब बच्चो का प्रवेश हो जाता है । फिर उनसे मनचाही फ़ीस वसूलते है जोकी बहुत ही गलत है.......
कुछ सालो पहिले जब में अपने कसबे से निकल कर मेरठ शहर पढने जाता था ....तो मेरठ - हस्तिनापुर मार्ग पर मात्र दो पब्लिक स्कूल ट्रांस्लम और जे० पी० एकेडमी हुआ करते थे , जो बहुत ही फेमस थे ...जहा पर पढाई का इस्तर एकदम अव्वल था ....लेकिन आज ये स्कूल पूर्ण रूप से फाइव स्टार बन चुके है ......आज न जाने कितने कोर्स यहाँ पर चलाये जाते है ,कोई गिनती नहीं है। आज के डोर में ये स्कूल पूर्ण रूप से कामर्शियल बन चुके है .....अगर कोई यहाँ पर एल के जी से प्रवेश लेता है तो समझो वो यहाँ से मास्टर डिग्री ही लेकर निकलेगा ......
ऐसे ही जब में अपने मित्र कों एम् बीऐ प्रवेश दिलाने के लिए देहरादून केडी.आई .टी। कॉलेज मे गया था .........यहाँ का कॉलेज बीटेक के मामले मे शहर मे दुसरे नंबर पर आता है ......लेकिन साथ ही साथ अब यह एम् बीऐ , एम् सीऐ, बीबीऐ की डिग्री भी देता है.... ये ही कॉलेज ही नहीं देश के तमाम कॉलेज भी ऐसा कर रहे है..जो बच्चो के भविष्य के साथ खिलवाड़ करते है, जो बिलकुल भी भी ठीक नहीं ...... जब मेरा मित्र पंजीकरण फार्म लेने के लिए काउंटर की तरफ चला ,तो एक हज़ार का नोट पाहिले लिया और बाद मे फ़ार्म दिया ......मानो ऐसा लगता है की ये लोगकॉलेज ही नहीं कोई प्रोविजन स्टोर चला रहे हो .....ये हालत है आज के निजी कालिजो की .......
ऐसा ही कुछ इस बार मेरे विश्विधालय माखनलाल में हो रहा है ....जहा पर इस बार १८ नए कोर्स चलाये जा रहे है जबकि हमारा विश्विधालीय एक पत्रकारिता का है। और अब यहाँ पर पढाई प्रबंधन ,एनिमेशन , एम् सी ऐ से सम्बंधित करायी जा रही है .....यह सोचने वाली बात है ............ज़माना वेश्वीकरण है या फिर रिटेल मेनिज्मेंट का है ....शायद् इसलिए ही विश्विधालीय कों कामर्शियल बनाने जा रहे है ...... तो ये to आने वाला वक्त ही बतायेगा ..
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खेर कुछ भी हो स्कूल या कॉलेज कों ५ स्टार बनाने से कुछ नहीं होगा ....या फिर अपग्रेड करने कुछ नहीं होगा बल्कि हमें आने विचारो कों अपग्रेड करने से होगा .....

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