कहते है की एक माँ १०० शिक्षको के बराबर होती है ऐसी माँ कों मेरा सत सत प्रणाम
09 माह तक गर्भ धारण करती।
09 माह तक गर्भ धारण करती।
09 माह में कितने पल ख़ुशी से नाच उठती ।।
कभी गुमशुम , कभी आशंकित हो जाती।
कभी गुनगुना कर उठाती।।
कभी सपनो में खो जाती ।
कभी दर्द सहन करती ।।
कभी ख़ुशी के पींगे भारती ।
कभी अनदेखे- अनछुए दुआ करती ।।
कभी गुमशुम , कभी आशंकित हो जाती।
कभी गुनगुना कर उठाती।।
कभी सपनो में खो जाती ।
कभी दर्द सहन करती ।।
कभी ख़ुशी के पींगे भारती ।
कभी अनदेखे- अनछुए दुआ करती ।।
कभी सुने आँगन में त्यागी हुए कपोल कों रोपती।
कभी ज़िन्दगी और आँगन कों पल भर में गुलज़ार करती ।।
तेरे हर सपने कों सलाम करता हूँ ।
आज ऐ माँ ! इस दुनिया में आकर में तुम्हे प्रणाम करता हूँ ।।
माँ में तेरा इस क़र्ज़ कों कभी उतार नहीं सकता । में हमेशा तेरा कर्जदार रहूँगा माँ। ................... माँ की याद जब बहुत आती है ...............जब एक बेटा अपनी माँ से कही बहुत दूर चला जाता है ..........
बहुत सुंदर प्रस्तुति... मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ !!
जवाब देंहटाएंमाँ को समर्पित बेहतरीन रचना..बधाई !!
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